Thursday, September 26, 2013

शांति के साथ संघर्ष होना चाहिए : राजकिशोर


दुनियाभर में जितने भी महान कार्य हुए हैं, वह शांत चित्त से ही संभव हो पाए हैं, गौतम बुद्ध से लेकर डॉ.अंबेडकर तक सभी के विचारों को पढे तो उसमें गंभीरता व शांतचित्त से किया गया संघर्ष ही दिखाई देता है। गौतम बुद्ध का जीवन का हम सबको अध्ययन करना चाहिए साथ ही संकट के समय त्यागी होना चाहिए। उक्त वक्तव्य वरिष्ठ पत्रकार व चिंतक राजकिशोर ने डॉ.भदंत आनंद कौसल्यायन बौद्ध केंद्र में सोमवार २३.०९.२०१३ को केन्द्र में आयोजित सम्मान समारोह में कहे, उन्होंने कहा कि जो अध्ययन करके बदले वही सही पाठक है, जो नही बदले वह सही पाठक नही हैं. 
श्री राजकिशोर जी को शाल भेंट कर सम्मान करते डॉ. सुरजीत कुमार सिंह.

स्वागत वक्तव्य देते डॉ. सुरजीत कुमार सिंह.
                                        श्री राजकिशोर जी के लिए दो शब्द बोलते बुद्धदास मिरगे 

श्री राज किशोर जी वक्तव्य देते.

 
संचालन करते कपिल गौतमराव मून. 

कार्यालय में कुछ समय.

छात्रों के साथ सामूहिकता में छाया चित्र.

वर्तमान समय में मानव का जीवन गिरवी होता जा रहा है, हमारे जीवन मे विज्ञापन की महत्ता लगातार बढ़ती जा रही है । उन्होने कहा की डॉ. अंबेडकर चाहते थे की संसाधनों पर सभी समाज की भागीदारी हो । श्री राजकिशोर जी ने आगे अपने उदबोधन मे कहा की गौतम बुद्ध चेहरे पर जो शांति है, वह दुनिया के और किसी भी धर्म संस्थापक और अन्य किसी मूर्ति में नजर नहीं आती है। धर्म का काम केवल दुनिया में शांति ही नहीं स्थापित करना है, बल्कि न्याय भी फैलाना है। डॉ. अंबेडकर का बौद्ध धर्म अपनाना केवल उनकी स्वयं की शांति के लिए ही नही था , बल्कि और भी कारण थे, वे सामूहिकता में लोगों का कल्याण हो ऐसा चाहते थे, सभी लोग वर्ण व्यवस्था से मुक्त हों, यह उनका प्रयास था, इसीलिए उन्होंने सामूहिकता में बौद्ध धर्म अपनाया।डॉ. अंबेडकर ने सभी धर्मो का गहन अध्ययन करके अंत में गौतम बौद्ध के विचार को सही पाया और व्यक्तिगत नही बल्कि सामूहिक रूप से दीक्षित लिए। अगर हमें बौद्ध धर्म से लगाव है तो हममें बौद्धिकता होनी चाहिए । उन्होने सभी उपस्थित शोधार्थियों, विद्यार्थियों से कहा ही कि वह अपनी पढ़ाई को व्यापारिक पढ़ाई न बनाए, पढ़ाई का उद्देश्य व्यवसाय न हो लेकिन जीविका हो सकती है। स्वागत वक्तव्य केन्द्र के प्रभारी डॉ. सुरजीत कुमार सिंह ने दिया, जन संपर्क अधिकारी बुद्ध दास मिरगे ने श्री राजकिशोर जी के बारे में दो शब्द कहे. सभा का संचालन कपिल गौतमराव मून के किया.

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